Friday, August 23, 2019

करता था दुनिया पे राज


करता था इस दुनिया, पे राज
हुकम पे अपने था, मुझे बड़ा नाज़

पत्ते भी फरकते नहीं, एक इजाज़त के बगैर
बगावत करने वाले, सारे हो जाते ढेर

(Music piece 1)

हिलने लगते परबत, मेरे एक इशारे से
रुक जाते थे झरने, मेरे केहने से

   बादशाहों-सी थी, मेरी हरेक चाल, 
   मस्ती में रेहता, मैं खुश-हाल
     
      (Music piece 1, once                    again) 
 
   ना थी कमी, किसी बात की, 
   तिजोरी थी, मेरी मालामाल

     सारी चीज़े थी, मेरे काबू में 
     महसूस करता मेरा डर, दुश्मन की         आंखों में

अब देखो बिल्कुल, मैं अकेला हुं 
जैसे टुटा हुवा, कोई तारा हुं 

     जब से मैंने हैँ, चाबी संभाली
     सारे रास्ते मेरे, बंध होने लगे

    मैंने जाना मेरे, सारे किल्ले, 
    खड़े थे किसी, रेत के खंभों पे

            सुन सकता हूँ घंटों की                    आवाज़ें,
       रणवीरों के गीतों की                 पुकारें 
      "बन जाओ मेरी तलवार            और मेरी ढाल
      प्रचारक घूम रहे बिदेश मेँ          फिलहाल"
            ऐसी वजह जिसको                      समझा नहीं सकता,
            कोई फ़क़ीर मेरा नाम नहीं              लेगा
       एक बार जाओ, फिर कोई         ईमानदार लब्ज़ नहीं,
       पर ये तब था, जब मैं               दुनिया पे करता था                 राज.... 

   वो थी तेज़ जंगली हवाएं,
   मुझे अंदर लाने के लिए 
  जिसने दरवाज़े फूंक डाले,
  जिसने खिड़कियां तोड़ डाली
  और ढोल के बजने की आवाज़ें
  लोग मान नहीं सकते थे 
  क्या से क्या, था बन गया मैं

  इन्तज़ार में थे क्रांतिकारी सारे
  चांदी की प्लेट पे कब मेरा सर लाया     जाए!

 एक ड़ोर पे लटकती कठपुतली था मैं,
 ऐसा बादशाह कौन बनना चाहेगा रे,
    चाहेगा रे 
 
     सुन सकता हूँ घंटों की आवाज़ें,
रणवीरों के गीतों की पुकारें 
"बन जाओ मेरी तलवार और मेरी ढाल
प्रचारक घूम रहे बिदेश मेँ फिलहाल"
     ऐसी वजह जिसको समझा नहीं           सकता 
     कोई फ़क़ीर मेरा नाम नहीं लेगा
एक बार जाओ, फिर कोई ईमानदार लब्ज़ नहीं 
पर ये तब था, जब मैं दुनिया पे करता था राज.... 

         (Music piece 3 - ओ ओ                ओओ, ओ ओ ओओ)

 सुन सकता हूँ घंटों की आवाज़ें,
रणवीरों के गीतों की पुकारें 
"बन जाओ मेरी तलवार और मेरी ढाल
प्रचारक घूम रहे बिदेश मेँ फिलहाल"
     ऐसी वजह जिसको समझा नहीं           सकता 
     कोई फ़क़ीर मेरा नाम नहीं लेगा
एक बार जाओ, फिर कोई ईमानदार लब्ज़ नहीं 
पर ये तब था, जब मैं दुनिया पे करता था राज 

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