Thursday, September 19, 2019

जब भी देखूं मैं तेरा चेहरा

वो आंखें  
वो आंखें हैं तारों से ज्यादा रोशन
वो बाल 
वो बाल कितने मस्त और मुलायम
वो हैं कितनी सुंदर
ये ही कहूँ मैं उसे रोज़-रोज़

जानता हूँ 
जानता हूँ
उसकी ये तारीफ़ वो नहीं मानेगी

बात हैं 
बात हैं कैसी कि जो मैं देखता हुं
वो देख नहीं सकती
पर हर बार जब वो ये पूछे 
  मैं कैसी लगती हूँ 
  तब ये केहता हूँ मैं 

  जब भी देखूं मैं तेरा चेहरा
  कुछ भी नहीं जो बदलना चाहूँ 
  क्योंकि तुम हो बेमिसाल
  जैसी भी तुम हो

  और जब तुम मुस्कुराती हो
  हर कोई रुक के देखने लगता हैं
  क्योंकि तुम हो बेमिसाल
  जैसी भी तुम हो

 ए...

  उसके होठ
  उसके होठ
  हर दिन मैं चूमता रहु 
  गर वो हाँ बोले तो

  वो हँसी
  वो हँसी
  उसे नहीं पसंद जब ये कहुँ
  पर हैं वो कितनी सेक्सी
  वो हैं कितनी सुंदर
  ये ही कहूँ मैं उसे रोज़-रोज़

  ओ 
  तुम्हें हैं पता हैं पता हैं पता
  तुम बदल जाओ 
  ऐसा कभी नहीं बोलूँगा
  
  गर परफेक्ट की 
  खोज में हो 
  तो हो वैसी रहो
  
  तो पूछने का कष्ठ मत करना
  क्योंकि जान तुम्हें पता हैं 
  मैं क्या कहूंगा

  जब भी देखूं मैं तेरा चेहरा
  कुछ भी नहीं जो बदलना चाहूँ 
  क्योंकि तुम हो बेमिसाल
  जैसी भी तुम हो

  और जब तुम मुस्कुराती हो
  हर कोई रुक के देखने लगता हैं
  क्योंकि तुम हो बेमिसाल
  जैसी भी तुम हो

  जैसी भी हो, जैसी भी हो
  क्योंकि तुम हो बेमिसाल
  जैसी भी तुम हो

  जब भी देखूं मैं तेरा चेहरा
  कुछ भी नहीं जो बदलना चाहूँ 
  क्योंकि तुम हो बेमिसाल
  जैसी भी तुम हो
  
  और जब तुम मुस्कुराती हो
  हर कोई रुक के देखने लगता हैं
  क्योंकि तुम हो बेमिसाल
  जैसी भी तुम हो

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