Tuesday, January 31, 2017

आया हैं सरहद पे जवाँ

आया हैं सरहद पे जवाँ,
आया हैं सरहद पे जवाँ , मीट जाने के लिए 
देश की खातिर, सब अपना लुटा देने  के लिए  ... ( 2 )

सीना तान खड़ा वो जम कर, डरने का कहीं नाम नहीं 
बारूद और आग के बीचमें, और कोई अंजाम नहीं, 
कब से जाने किस्मतको, रूठ जाने के लिए 
लड़ रहा हैं फिर भी वो, देश बचाने के लिए ... 

आया हैं सरहद पे जवाँ , मीट जाने के लिए 
देश की खातिर, सब अपना लुटा देने  के लिए  ...

सुन लो ए सियासत वालों, सुन लो तुम निगेहबानों,
बात नहीं बनती सिर्फ बातों से ये तुम भी जानो जानो 
खून बहाना पड़ता हैं जीत जाने के लिए 
देश का सर हर हाल में,बुलंद रखने के लिए.... 

आया हैं सरहद पे जवाँ , मीट जाने के लिए 

देश की खातिर, सब अपना लुटा देने  के लिए  ...

बंध करो ये लडाई जगड़े, कौन  हैं हिन्दू कौन मुसलमान 
जिस के दिल में प्यार मुहोब्बत वो कहलायेगा एक इंसान 
बाकी कुछ ना मैं जानू , खुश रेहने के लिए, 
जाऊंगा सरहद पे मैं, कुर्बानी के लिए  .... 


आया हैं सरहद पे जवाँ , मीट जाने के लिए 
देश की खातिर, सब अपना लुटा देने  के लिए  ... ( 2 )


                                           -- Composed by  कमलेश भट्ट
                               In Memory of each and every soldier 
                                                           Dying on the Border.
                                                                  











No comments:

Post a Comment