' झिंदगीने झिंदगी भर ग़म दिए ,
जितने भी मौसम दिए सब नम दिए '..... ( 3 )
जब तड़पता हैं कभी अपना कोई,
खून के आसूँ रुला दे बेबसी ( 2 )
जी के फिर करना क्या मुझको ऐसी झिंदगी .... ( 2 )
जिसने झखमों को नहीं मरहम दिए
झिंदगीने झिंदगी भर ग़म दिए ....
झिंदगीने झिंदगी भर ग़म दिए ,
जितने भी मौसम दिए सब नम दिएअपने भी पेश आएं हमसे अजनबी
वख्त की साझिश कोई समझा नहीं ( 2 )
बे-इरादा कुछ खतायें हमसे हो गयी
राह में पत्थर मेरी हरदम दिए
झिंदगीने झिंदगी भर ग़म दिए,
जितने भी मौसम दिए सब नम दिएझिंदगीने झिंदगी भर ग़म दिए ....
' इक मुकम्मल कश्मकश हैं झिंदगी
उसने हमसे की कभी ना दोस्ती ' ( 2 )
जब मिली मुझको आसूं के वो तौफे दे गयी
हस सके हम ऐसे मौके कम दिए (2 )
झिंदगीने झिंदगी भर ग़म दिए ,
जितने भी मौसम दिए सब नम दिए ....
आ आ आ आ आ ( 4 )
आ आ आ
आ आ आ आ आ ( 2 )
आ आ आ
झिंदगीने झिंदगी भर ग़म दिए.....
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