Saturday, January 14, 2017

Jhindagi ne Jhindagi bhar gham diye .... from " The Train "

' झिंदगीने झिंदगी भर ग़म दिए ,
 जितने भी मौसम दिए सब नम दिए '..... ( 3 )

जब तड़पता हैं कभी अपना कोई, 
खून के आसूँ रुला दे बेबसी ( 2 )
जी के फिर करना क्या मुझको ऐसी झिंदगी .... ( 2 )
जिसने झखमों को नहीं मरहम दिए 
झिंदगीने झिंदगी भर ग़म दिए ,
जितने भी मौसम दिए सब नम दिए
झिंदगीने झिंदगी भर ग़म दिए ....  

अपने भी पेश आएं हमसे अजनबी 
वख्त की साझिश कोई समझा नहीं ( 2 )
बे-इरादा कुछ खतायें हमसे हो गयी 
राह में पत्थर मेरी हरदम दिए 
झिंदगीने झिंदगी भर ग़म दिए,
जितने भी मौसम दिए सब नम दिए
झिंदगीने झिंदगी भर ग़म दिए ....  

' इक मुकम्मल कश्मकश हैं झिंदगी 

उसने हमसे की कभी ना दोस्ती ' ( 2 )
जब मिली मुझको आसूं के वो तौफे दे गयी 
हस सके हम ऐसे मौके कम दिए (2 )
झिंदगीने झिंदगी भर ग़म दिए ,
जितने भी मौसम दिए सब नम दिए ....

आ आ आ आ आ ( 4 )

आ आ आ 
आ आ आ आ आ ( 2 )
आ आ आ 

झिंदगीने झिंदगी भर ग़म दिए.....      








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